Thursday, October 06, 2005

संचित राशि

चाहे तुम कुछ ना करो किसी के लिए, पर करके एहसान न जतना
छोटे हो सपने किसी के, उसे हँसी में मत उडाना
हँसते रहना जिन्दगी भर तुम, पर किसी के बेबसी पर कभी न मुस्कराना
पकडना जो दामन किसी का, उम्र भर का साथ निभाना
कहते है अब बोझ बन गये हैं रिस्ते, फिर भी बडो को देख कर सर झुकना
जो कुछ कर सको करना सबके लिये, पर मिलेगा तुम्हे कुछ उमीद मत लगाना
ये संचित राशि है जो कतरा कतरा भरता है,
तुम्हारे आज के जलाये दिये से कल तम्हारा ही घर जगमग जगमग करता है


सूरज देव

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