Sunday, October 16, 2005

असम्भव हो हर कार्य जरुरी नही

चाहते अब बुलन्द होने को मचल रही हैं
सोती अरमा आसमा छूने को मचल रही हैं
लग रहा है असर कर रही है दुआ अपनो की
बूझती लौ अब नयी रोशनी लिये मचल रही हैं

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विश्वास बढा है विश्वास से
साथ बढा है साथ से
अगर हाथ दो मेरे हाथ मे
बदल देगें दुनिया बातो बात से

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सार्थक हो हर प्रयास जरुरी नही
पूरी हो हर आस जरुरी नही
मगर सच है ये भी वही
असम्भव हो हर कार्य जरुरी नही

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है विश्वास अपने कर्मो पर
किस्मत भी उतनी बूरी हो नही सकती
पूरा होगा हर सपना
दुआये अपनो की अधूरी हो नही सकती

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